उपभोक्ता की मानसिकता सदैव परिवर्तनशील रही है... रेडीमेड की बड़ी दुकानों में घुसने वाला युवा फैशन के साथ-साथ कंपनी या ब्राण्ड के नाम पर आकर्षित हो रहा है... कोरोना के कारण बाजार बंदीकरण के बावजूद उपभोक्ता की खरीदी के प्रति उत्सुकता बरकरार है... अप्रैल-मई में होने वाले अधिकांश वैवाहिक कार्यक्रम नवंबर - दिसंबर में शिफ्ट हो गए ... शिक्षण संस्थान भी खुलने का वातावरण बन गया... कुल मिलाकर परिस्थितियों का ऐसा निर्माण हो चुका है कि मानसून के तुरंत बाद कपड़े की ग्राहकी ऐसे फूटेगी... मानो कोई ज्वालामुखी कसमसाकर फट गया हो... हमने कोरोना को लॉकडाउन-2021 के दौरान मानसिक तौर पर साथ रखने या सावधानी के साथ इसके साथ दूरी बनाना स्वीकार कर लिया है... लेकिन तीसरी लहर या अन्य किसी भी खतरे के तौर पर अब हमें लॉकडाउन का सहारा लेने की और आवश्यकता नहीं पड़ेगी... क्योंकि जब मुंबई के धारावी जैसे इलाके में कोरोना परास्त हो गया... तो समझो कि राष्ट्र की अवाम पुन: अपनी तर्ज पर लौटने को आतुर है...
विडम्बनाएँ बहुत लम्बे समय तक उपभोक्ता की मानसिकता को कैद नहीं रख सकती... कपड़े की दुकानों पर विक्रेता को कंपनी या ब्राण्ड का नाम बोलकर ग्राहक को संतुष्ट करने का श्रम करना पड़ रहा है... इसके पीछे उपभोक्ता की मानसिकता का ब्राण्डेड उत्पादों के प्रति बढ़ता हुआ आकर्षण ही तो है... लेकिन कपड़ा उत्पादकों के पास उपभोक्ता की इस मानसिकता को समझने की भी मोहलत नहीं हैं... जितने गोदाम जुलाई तक भर लोगे... उतना ही बाजार पर अपना अधिकार स्थापित करने में सफलता मिलेगी... लेकिन यदि ब्राण्ंिडग में चूक गए... तो दुकानों में सजा हुआ माल ही इस चूक की सज़ा बन जाएगा... हमें नवाचार और ब्राण्डिंग के साथ-साथ एकाएक निकलने वाली चौतरफा बाजार की माँग की आपूर्ति के लिए विगत एक वर्ष में कमजोर हो चुके सप्लाई तंत्र को भी पुन: जीवन्त करना होगा... यह एजेण्ट और होलसेलर या डिस्ट्रीब्यूटर बदलने का नहीं... अपितु उन्हें सपोर्ट करने का समय है... टूटे हुए मनोबल की धड़कनों में पुन: प्राण फँूकने का समय है... यही तंत्र आगामी चार-पाँच माह में कपड़ा उत्पादक कंपनीज की रगों में दौड़ते प्रवाह में जान डालेगा... किंतु इस विश्वास को मजबूती प्रदान कीजिए... अपने मन को भी मजबूत कीजिए... कितनी भी आर्थिक त्रासदी से ग्रस्त रहे हों... सकारात्मक सोच के साथ एक बार पुन: खड़े होकर चार माह के लिए लंबी साँस भरकर कदम उठाइए... विश्वास से उठाया गया एक कदम भी आपको ऐसा सुख प्रदान करेगा कि आप पिछले सवा-डेढ़ वर्ष के दर्द से मुक्ति पा जाएँगे... उत्पाद के नवाचार और गुणवत्ता के प्रति सावधान रहिएगा... उपभोक्ता नए दौर में आपकी कोताही या लापरवाही को मा$फकरने के मूड में नहीं है... अब उसे 'बेस्टÓ चाहिए... ब्राण्डिंग में भी... क्वालिटी में भी... और उसकी पसंद में भी... निर्यात व्यापार की ऑक्सीजन ने उद्योग के क्षतिग्रस्त फेफड़ों को बहुत सपोर्ट किया है... केवल अपनी अर्जित शक्ति को संकलित करके आज से ही... अर्थात् जब भी आप इस अखबार में इन अक्षरों को पढ़ रहे हैं... तभी से तैयारी में जुटने की आवश्यकता है... इससे अधिक अलार्म बजाकर आपके जगने की प्रतीक्षा हमने हमारे 23 वर्ष के सफर कभी नहीं की होगी... चौबीसवें वर्ष में प्रवेश करते हुए हम टेक्सटाइल उद्योग-व्यापार जगत के लिए नए दौर में नए संकल्प के साथ नए प्रतिमान गढऩे हेतु नए चैतन्य की आशा करते हैं... हम कदम से कदम मिलाकर आपके साथ दौडऩे का विश्वास कभी नहीं तोड़ेंगे... 'टेक्सटाइल वर्ल्ड' के पंच तत्वों में आपकी शुभकामनाएँ और सहयोग नई ऊर्जा का संचार करते हैं...
निरंतर परिवर्धित ''टेक्सटाइल वर्ल्ड' परिवार के परामर्शदाताओं... विज्ञापनदाताओं... ब्यूरो चीफ... संवाददाताओं और देश के तमाम पाठकों को चौबीसवें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर बधाई देते हुए कृतज्ञता व्यक्त करते हैं कि आपने समय के तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद हमारा भरपूर साथ दिया... किसी भी विपरीत दौर में हमारा हाथ नहीं छोड़ा... यह जिम्मेदारी एक पिता निभा सकता है... या फिर परमपिता... अत: आप सब हमारे लिए पिता हैं या ईश्वर... यही भाव रखते हुए हम आपके स्वस्थ और सुखद जीवन की मनोकामना करते हैं... आइए! नए दौर के लिए विश्वासपूर्वक तैयारी में जुट जाएँ!!
''अभी तो एक पग आगे बढ़ादो कर्म के योगी।
कदम दो-चार भी जो चल दिए तो बात क्या होगी।
कभी जब मुटिठयों में कैद कर लोगे रवानी को।
झुकेंगे मील के पत्थर तुम्हारी आगवानी को।
योगेन्द्र शर्मा
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