कॉटन आयात शुल्क मुक्त 

बढ़ेगा टेक्सटाइल और गारमेंट निर्यात : टेक्सटाइल उद्योग द्वारा स्वागत
नई दिल्ली/राजेश शर्मा...

उद्योग पर बढ़ते दबाव और देश से टेक्सटाइल और गारमेंट निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उद्योग की कॉटन के आयात को पूरी तरह शुल्क मुक्त करने की माग को मानते हुए आगामी 30 सितम्बर तक इसके आयात को सभी प्रकार की ड्यूटी से मुक्त कर दिया है। सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार 14 अप्रैल से 30 सितम्बर तक कॉटन का आयात शुल्क मुक्त होगा।
उल्लेखनीय है कि देश में कॉटन के भाव बढक़र एक लाख रुपए प्रति खंडी 356 किलो  के करीब पहुंच चुके हैं और इस भाव वृद्धि से देश से टेक्सटाइल और गारमेंट निर्यात पर प्रतिकूल असर पडऩा आरंभ हो गया था, क्योंकि निर्यातकों का कहना है कि भारत से आयात मंहगा होने के कारण आयातक देश अन्य देशों की ओर रुख करने लगे थे। सरकार ने गत वर्ष के बजट में अतिरिक्त लम्बे रेशे की कॉटन के आयात पर 5 प्रतिशत बेसिक कस्टम ड्यूटी और 5 प्रतिशत एआईडीसी और इस पर 10 प्रतिशत का सोशल वैलफेयर सैस लगाया था। इस प्रकार कॉटन के आयात पर कुल 11 प्रतिशत का टेक्स लगता था। इससे आयात मंहगा हो रहा था लेकिन अब आयात कुछ सस्ता हो जाएगा। टेक्सटाइल उद्योग ने इसका स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की है कि अब आयात सस्ता होने से देश से टेक्सटाइल और गारमेण्ट निर्यात बढ़ाने में उन्हें सहायता मिलेगी।
कांफेडरेशन ऑफ  इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सीआईटीआई) के चेयरमैन श्री टी राजकुमार ने सरकार के आयात ड्यूटी समाप्त करने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इसे इससे पूरी टेक्सटाइल श्रृंखला को कॉटन के भाव में हुई अभूतपूर्व वृद्धि के विरुद्ध लडऩे में सहायता मिलने के साथ ही उद्योग को अतिरिक्त लम्बे रेशे की कॉटन के साथ ही आर्गेनिक व रंगीन कॉटन आयात अब सस्ता पड़ेगा। अब उद्योग उच्च किस्म के उत्पाद विश्व के विकसित देशों की उनकी मांग को पूरा कर सकेगा।
फेडरेशन आफ  इंडियन एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन यानि फि यो के चेयरमैन डॉ. ए. शक्तिवेल का कहना है कि कॉटन पर आयात ड्यूटी का घटाकर शून्य करने से देश से गारमेंट उद्योग को निर्यात बढ़ाने में सहायता मिलेगी तथा अब यार्न और फैब्रिक की कीमतों में काफी कमी आने की संभावना है।
उनका कहना है कि सरकार से इस निर्णय से देश से कॉटन टेक्सटाइल का निर्यात बढ़ेगा क्योंकि कॉटन के ऊंचे भाव के कारण निर्यातक विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा में नहीं टिक पा रहे थे।         
नार्दन टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन (निटमा) के प्रेजीडेंट श्री संजय गर्ग ने कॉटन को शुल्क मुक्त करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह न केवल देश की टेक्सटाइल श्रृंखला यानि यार्न, फैब्रिक, गारमेंट आदि के लिए लाभदायक होगा अपितु उत्पादन लागत भी कम होगी, जिससे निर्यात बढऩे में सहायता मिलेगी।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार काफी समय से कॉटन को आयात मुक्त करने की मांग कर रहा था क्योंकि मंहगी कॉटन के कारण घरेलू उद्योग विश्व बाजार में निर्यात में पिछड़ रहा था। आयात ड्यूटी के कारण देश के टेक्सटाइल उद्योग को अन्य देशों जो सस्ती कॉटन आयात कर रहे हैं, उनके मुकाबले में टिकने में कठिनाई हो रही थी।
कॉटन फाइबर नीति
निटमा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री मुकेश त्यागी ने सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए अनुरोध किया कि कॉटन के महत्व को देखते हुए सरकार को एक कम्प्रीहेंसिव कॉटन फ ाइबर नीति बनानी चाहिए। उनका कहना है कि भारत की कॉटन विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धक है और विश्व टेक्सटाइल बाजार इसी के कारण खुले हैं।
उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि कॉटन का आयात स्थाई तौर पर शुल्क मुक्त कर देना चाहिए ताकि कॉटन आयात का लाभ पूरी टेक्सटसइल श्रृंखला को मिलता रहे और कपड़ा मंत्रालय द्वारा 2030 तक टेक्सटाइल और गारमेंट निर्यात को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि इस माह के आरंभ में नैशनल कमेटी ऑन टेक्सटाइल एंड क्लोदिंग (एनसीटीसी) के सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल से भेंट कर उन्हें देश में कॉटन के बढ़ते भाव, इसकी कमी और उद्योग की स्थिति से अवगत कराते हुए कॉटन को ड्यूटी फ्री आयात की अनुमति देने की मांग की थी, ताकि उद्योग न केवल वर्तमान संकट के दौर उबर सकंे अपितु टेक्सटाइल व गारमेंट सेक्टर के लिए 2022-23 के निर्धारित निर्यात लक्ष्य को भी प्राप्त करने में सहायता मिले।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा था कि सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदमों के कारण ही 2021-22 के दौरान देश से टेक्सटाइल और गारमेण्ट का निर्यात 67 प्रतिशत बढक़र 39.734 बिलियन डॉलर हो गया। इससे पूर्व वर्ष निर्यात केवल 29.454 बिलियन डॉलर का ही था।
विश्व 11 वर्ष की चोटी पर- सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार द्वारा कॉटन के आयात को शुल्क मुक्त करने के बाद न्यूयार्क में मई कॉटन वायदा उछल कर 146 सेंट का स्तर पार कर गया था, जो 11 वर्ष का सबसे ऊंचा स्तर है। अब सरकार के फैसले के बाद भी कॉटन के भाव में किसी भारी गिरावट की संभावना नजर नहीं आ रही है, क्योंकि आयात भी मंहगा ही होगा।
ऐसा मानना है कि अब कुछ समय के लिए कॉटन के भाव में गिरावट आनी चाहिए, लेकिन भारी गिरावट नए सीजन में आने की संभावना है, क्योंकि इस समय बाजार में स्टॉक कम होने के साथ ही उत्पादन भी गत वर्ष की तुलना में कम हुआ है।
 


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